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भाग ४.३

कहों, क्या हम खुदा के सिवा ऎसी चीज़ को पुकारें जो न हमारा भला कर सके न बुरा और जब हमको खुदा ने सीधा रास्ता दिखा दिया, तो (क्या) हम उलटे पाँव फिर जाएँ? जबकि अल्लाह ने हमें मार्ग पर लगा दिया है (फिर हमारी ऐसी मिसाल हो) जिसे किसी शैतान ने जंगल पर लगा दिया है (फिर हमारी ऐसी मिसाल हो) जिसे किसी शैतान ने जंगल में भुला दिया हो (और वह) हैरान (हो रहा हो) और उसके कुछ साथी हों जो उस को रास्ते की तरफ बुलाएं की हमारे पास चला आ. कह दो की रास्ता तो वही है, जो खुदा ने बताया है और हमें तो यह हुक्म मिला है की हम अल्लाह, रब्बुल आलमीन के फर्मबदार हो.
-कुरआन, सुरा ६, आयत- ७१

 (ऐ मुहम्मद!) इनसे कह दो की मुझे इस बात से मना किया गया है की जिनको तुम खुदा के सिवा पुकारते हो, उन की इबादत करूँ (और में उन की कैसे इबादत करूँ,) जबकि मेरे पास परवरदिगार (की तरफ) से खुली दलीले आ चुकी हैं और मुझको ये हुक्म हुआ है की सारे जहां के परवरदिगार ही के फरमान के ताबेअ हूँ.
-कुरआन, सुरा ४०, आयत- ६६

वही तो है जिस ने तुम को (पहले)  मिट्टी से पैदा किया, फिर नुत्फा बना कर, फिर लोथड़ा बना कर, फिर तुमको निकालता है (की तुम) बच्चे  (होते हो) फिर तुम अपनी जवानी को पहुचते हो, फिर बूढ़े हो जाते हो और कोई तुममे से पहले ही मर जाता है और तुम (मोंत के) मुक़र्रर वक़्त तक पहुच जाते हो, और ताकि तुम समझो.
-कुरआन, सुरा ४०, आयत- ६७

(ऐ मुहम्मद!) कह दो की लोगों! मै तुम सब की तरफ खुदा का भजा हुआ (यानी उस का रसूल) हूँ. (वह) जो आसमानों और ज़मीन का बादशाह है , उसके सिवा कोई माबूद (यानी पूज्य) नहीं. वही ज़िन्दगी बख्शता और वहीँ मोत देता है, तो खुदा पर हम और उसके रसूल पैगम्बर उम्मी पर, जो खुदा पर और उसके तमाम कलाम पर ईमान रखते हैं, ईमान लाओ और उनकी एरवी करो, ताकि हिदायत पाओ.
-कुरआन, सुरा ७, आयत- १५८ 

और (ऐ पैगम्बर !) तुम को जो हुक्म भेजा जाता है, उस की पैरवी किये जाओ और (तकलीफों पर) सब्र करो, यहाँ तक की खुदा फैसला कर दे. वह सब से बेहतर फैसला करने वाला है.
-कुरआन, सुरा १०, आयत- १०९ 

कह दे की जो लोग खुदा पर झूठ बुह्तान बांधते हैं, फलाह (कामियाबी) नहीं पायेंगे.
उनके लिए जो कायदे हैं, दुनिया में (हैं), फिर उनको हमारी ही तरफ लोट कर आना है. उस वक़्त हम उनके कड़े अज़ाब (के मज़े) चखाएंगे, क्यूँ की कुफ्र (की बातें) किया करते थे.
-कुरआन, सुरा १०, आयत- ६९,७०

(ऐ पैगम्बर !) यह उन (हिदायतों) मै से हैं जो खुदा ने हिकमत की बातें तुम्हारी तरफ वह्य की हैं और खुदा के साथ कोई और माबूद न बनाना की (ऐसा करने से) मलामत किया हुआ और (खुदा की दरगाह से) धुत्करा हुआ बना कर जहन्नम में दाल दिए जाओगे.
-कुरआन, सुरा १७, आयत- ३४

और कह दो की (लोगों !० यह कुरआन तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से हक (पर) हैं, तो जो चाहे ईमान लाये और जो चाहे काफिर रहे. हम ने जालिमों के लिए (दोज़ख की) आग तैयार कर राखी है, जिस की कनातें उस को घेर रही होंगी और अगर फ़रियाद करेंगे, तो ऐसे खोलते हुए पानी से, उन की दाद्रसी की जायेगी जो पिघले हुए ताम्बे की तरेह (गर्म होगा ओर जो) मुहों को भून डालेगा. (उनके पीने का) पानी भी बुरा और आराम गाह भी बुरी.

(और) जो ईमान लाये और काम भी नेक करते रहे, तो हम नेक काम करने वालों का बदला बर्बाद नहीं करते.
ऐसे लोगों के लिए हमेशा रहने के बाग़ है, जिन में उनके (महलों) के निचे नहरें बह रहीं हैं. उनको वहां सोने के कंगन पहनाये जायेंगे और वे बारीक दीबा और अतलस के हरे कपडे पहना करेंगे (और) तख्तों पर तकिये लगा कर बैठा करेंगे. (क्या) खूब बदला और (क्या) खूब आरामगाह है.
-कुरआन, सुरा २१, आयत- २९ 

और जो आदमी उनमे से यह कहे की खुदा के सिवा मई भी पूज्य हूँ तो उसे दोज़ख की सज़ा देंग और जालिमो को हम ऐसी सज़ा दिया करते हैं. 
-कुरआन, सुरा २१, आयत- २९
और (ऐ मुहम्मद!) हमने तुम को सम्पूर्ण दुनिया के लिए रहमत बना कर भेजा है.
कह दो की मुझ पर (खुदा की तरफ से) यह वह्य अति है की तुम सब का माबूद (यानी पूज्य) एक खुदा है, तो क्या तुम फरामबदार होते हो?
-कुरआन, सुरा २१, आयत- १०७, १०८

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