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भाग ४.८

(देखो) पैमाना पूरा भरा करो और नुक्सान न किया करो.
और तराजू सीधे रख कर तोला करो.
लोगों को उन की चीज़ें कम का न दिया करो और मुल्क में फसाद न करते फिरो.
और उस से दरो, जिसने तुमको और पहली खलकत को पैदा किया
-कुरआन, सुरा २६, आयत- १८१, १८२,१८३, १८४

बेशक परहेजगार लोग अमन की जगह में होंगे.
(यानी) बाग़ों और चश्मों में,
हरीर का बारीक और दबीज़ (भारी) लिबास पहन कर एक-दुसरे के सामने बैठे होंगे.
(वहां) इस तरह (का हाल होगा) और हम बड़ी-बड़ी आखों वाली गोरे रंग की औरतों से उन के जोड़े लगायेंगे.
वहां अमन-सुकून स हर किस्म के मेवे मंगवाएंगे (और खायेंगे)
-कुरआन, सुरा ४४, आयत- ५१, ५२, ५३, ५४, ५५

शुरू खुदा का नाम लेकर, जो बड़ा कृपालु और अत्यंत दयालू है.
हर तानो भरे इशारे करने वाले चुगलखोर की खराबी है.
जो माल जमा करता है और उसको गिन गिन कर रखता है.
और ख्याल करता है की उसका माल उसकी हमेशा की ज़िन्दगी की वजेह होगा.
हरगिज़ नहीं, वह ज़रूर हुत्मा में डाला जाएगा. 
और तुम क्या समझे की हुत्मा क्या है?
वह खुदा की भड़काई हुई आग है,
जो दिलों पर जा लिप्तेगी,
और वे उसमें बंद कर दिए जायेंगे,
यानी (आग के) लम्बे लम्बे स्तूनो में.
-कुरआन, सुरा १०४, आयत- १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९ 

शुरू खुदा का नाम लेकर, जो बड़ा कृपालु, अत्यंत दयालु है.
ह्खा जो बदले (के दिन) को भला तुमने उस शक्स को देखा जो बदले (के दिन) को झुठलाता है.
यह वही (बाद-बख्त) है जो यतीम को धक्का देता है,
और फ़कीर को खाना खिलाने के लिए (लोगों को) तरगीब नहीं देता.
तो ऐसे नमाजियों की खराबी है,
जो नमाज़ की तरह से ग़ाफिल रहते हैं
जो दिखावे का काम करते हैं.
और बरतने की चीज़ें (उधार) नहीं देते.
-कुरआन, सुरा १०७, आयत- १, २, ३, ४, ५, ६,७

शुरू खुदा का नाम लेकर, जो बड़ा कृपालु, अत्यंत दयालू है.
कहो की मई सुबह के मालिक की पनाह माँगता हूँ,
हर छज की बुराई से, जो उसने पैदा की,
और अँधेरी रात की बुराई से जब उसका अन्धेरा छा जाए,
और गन्दो पर (पढ़-पढ़ कर) फूकने वालियों की बुराई से, 
और हसद (जलन) करने वालों की बुराई से, जब हसद करने लगे.
-कुरआन, सुरा ११३, आयत- १, २, ३, ४, ,५ 

शुरू खुदा का नाम लेकर, जो बड़ा कृपालु, अत्यंत दयालू है.
कहो की  मई लोगों के परवरदिगार की पनाह माँगता हूँ.
(यानी) लोगों के हकीकी बादशाह की,
लोगों के माबुदे बार-हक की,
(शैतान) वस्वसा डालने वाले की बुरे से जो (खुदा का नाम सुन कर) पीछे हट जाता है,
जो लोगों के दिलों में वास्वाने डालता है,
(चाहे वह) जिन्नों में से (हो) या इंसानों में से.
-कुरआन, सुरा ११४, आयत- १, २, ३, ४, ५, ६ 


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