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भाग ४.५

मानवता की भलाई के लिए अनुकरणीय शेष्ठ सदाचार है इस्लाम में:

मोमिनो! अपने घरों के सिवा दुसरे (लोगों के) घरों मै घर वालों की इजाज़त लिए और उन को सलाम किये बगैर दाखिल न हुआ करो, यह तुम्हारे हक मै बेहतर है (और हम यह नसीहत इसलिए करते हैं की) शायद तुम याद रखो.
-कुरआन, सुरा २४, आयत- २७ 

और अपनी कोम की बेवा ओरतों के निकाह कर दिया करो और अपने गुलामो और लोंडियों  के भी जो की नेक हों ( निकाह कर दिया करो) और वे गरीब होंगे तो खुदा उनको अपने फजल से खुशहाल कर देगा और खुदा (बहुत) वुसअत वाला और (सब कुछ) जानने वाला है.
-कुरआन, सुरा २४, आयत- ३२ 
और अगर मोमिनो मै से कोई दो फरीक आपस मै लड़ पड़े, तो उन मै सुलह करा दो. और अगर एक फरीक दुसरे पर ज्यादती करे तो ज्यादती करने वाले से लड़ो यहाँ तक के वह खुदा के धर्म की तरफ रजूअ हो जाए तो दोनों फरीक में बराबरी के साथ सुलह करा दो और इन्साफ से काम लो की खुदा इन्साफ करने वालो को पसंद करता है.

मोमिन तो आपस में भाई भाई हैं, तो अपने २ भाइयों में सुलह करा दिया करो. और खुदा से डरते रहो, ताकि तुम पर रहमत की जाये.

मोमिनो कोई क़ोम का मजाक न उडाये. मुमकिन है की पे लोग उनसे बेहतर हों और न किसी औतातों का (मज़ाक उड़ायें) मुमकिन है की वे उनसे अच्छी हों और अपने (मोमिन भाई) को ऐब न लागोया और न एक दुसरे का बुरा नाम रखो. ईमान लाने के बाद बुरा नाम (रखना) गुनाह है, और जो टाबा न करे, वे ज़ालिम हैं.

ऐ ईमान लाने वालों! बहुत गुमान करने से बचो की कुछ गुमान गुनाह हैं और एक दुसरे की हाल की तोह मै न रहा करो और न कोई किसी की गीबत करें. क्या तुममे से कोई इस बात को पसंद करेगा की अपने मरे हुए भाई का गोस्त खाए? इस से तो तुम ज़रूर नफरत करोगे, (तो गीबत न करो) और खुदा का डर रखो बेशक खुदा तोबा कुबूल करने वाला मेहरबान है.
-कुरआन, सुरा ४९, आयत- ९, १०, ११, १२ 

मोमिनो! जब जुमा (शुक्रवार) के दिन नमाज़ के लिए अज़ान दी जायेगी, तो खुदा की याद (नमाज़) के लिए जल्दी करो और (खरीदना व) बेचना छोड़ दो. अगर समझो तो यह तुम्हारे हक में बेहतर है.
-कुरआन, सुरा ६२, आयत- ९

मोमिनो!तुम पर रोज़े फ़र्ज़ किये गए हैं, जिस तरेह तुमसे पहले लोगों पर फ़र्ज़ किये गए थे, ताकि तुम परहेजगार बनो.
-कुरआन, सुरा २, आयत- १८३

और जो कोई बुरा काम कर बैठे या अपने हक में ज़ुल्म कर ले, फिर खुदा से बख्शीश मांगे, तो खुदा को बख्शने वाला मेहरबान पायेगा.
-कुरआन, सुरा ४, आयत- ११०

और खुदा और उस के रसूल के हुक्म पर चलो आपस मे झगडा न करना की (ऐसा करोगे तो) तुम बुजदिल हो जाओगे और तुम्हारा इकबाल जाता रहेगा और सब्र से काम लो की खुदा करने वाले मददगार है.
-कुरआन, सुरा ८, आयत- ४६

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